सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हम पर कार्यपालिका में दखल करने का आरोप; याचिकाकर्ता को कहा- आप चाहते हैं कि हम राष्ट्रपति को परमादेश जारी करें

Supreme Court vs Government Controversy News Update
Supreme Court vs Government: इन दिनों सुप्रीम कोर्ट और भारत सरकार के बीच खींचतान की स्थिति देखने को मिल रही है। संसद और सुप्रीम कोर्ट में कौन सर्वोच्च और शक्तिमान है? कौन संविधान की सीमा लांघ रहा है? यह सवाल गरमाया हुआ है। वहीं उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के तल्ख बयान के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने भी पूरे विवाद पर अप्रत्यक्ष रूप से अपनी प्रतिक्रिया दी है।
दरअसल, आज सोमवार को पश्चिम बंगाल में आपातकाल लागू करने की मांग वाली याचिका को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की। जहां सुनवाई करते हुए जस्टिस गवई की बेंच ने याचिकाकर्ता को कहा कि, आप चाहते हैं कि कोर्ट इसमें दख़ल दे। हम कैसे करें? वैसे भी हमारी तो आलोचना हो रही है और हम पर आरोप लग रहा है कि सुप्रीम कोर्ट विधायिका और कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में दखल दे रहा है। हम पर कार्यपालिका में अतिक्रमण करने का आरोप है।
बता दें कि, जस्टिस गवई देश के अगले मुख्य न्यायाधीश बनने वाले हैं। वह अगले महीने मौजूदा CJI संजीव खन्ना की जगह मुख्य न्यायाधीश का पद संभालेंगे। इस बीच जस्टिस गवई की ये टिप्पणी बता रही है कि सुप्रीम कोर्ट को लेकर उपराष्ट्रपति और बीजेपी सांसद के तल्ख बयान का न्यायपालिका पर कितना असर हुआ है? फिलहाल, देखना यह होगा कि, यह पूरा विवाद कहां तक जाता है और आगे तस्वीर क्या होती है?
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट पर उठाए थे सवाल
हाल ही में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए थे और तल्ख टिप्पणी की थी. जगदीप धनखड़ ने कहा था कि, सुप्रीम कोर्ट से जिस तरह के फैसले दिए जा रहे हैं, देश के लोकतंत्र ने कभी उसकी कल्पना नहीं की थी। आज सुप्रीम कोर्ट से राष्ट्रपति को निर्देश दिया जा रहा है? किस आधार पर? सुप्रीम कोर्ट से राष्ट्रपति को निर्देश कैसे दिया जा सकता है? जबकि यह देश का सबसे सर्वोच्च संवैधानिक पद है।
उपराष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट को 'सुपर संसद' की तरह व्यवहार करने वाला बताया था और कहा था कि, संविधान का अनुच्छेद 142, जो सुप्रीम कोर्ट को विशेष अधिकार देता है, "वो सुप्रीम कोर्ट के लिए चौबीसों घंटे उपलब्ध लोकतांत्रिक ताकतों के खिलाफ एक परमाणु मिसाइल बन गया है"। अनुच्छेद 142 को लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के खिलाफ ''न्यूक्लियर मिसाइल" के तरह प्रयोग किया जा रहा है।
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